Читать книгу ए कवसट ऑफ हरज - Морган Райс, Morgan Rice - Страница 12
अध्याय एक
Оглавлениеरिंग के पश्चिमी राज्य के निचले इलाके की सबसे ऊंची पहाड़ी पर उत्तर की ओर चढ़ते सूरज को देखता हुआ एक लड़का खड़ा था। दूर तक फैली हरी पहाड़ियाँ, जो बहुत सी घाटियों और चोटियों की कभी गिरती हुयी और कभी ऊँट के कूबड़ की तरह उठी हुयी एक श्रृंखला जैसी थी, जहाँ तक उसकी नज़र जाती वह उन्हें देख रहा था। लड़के का मनोभाव ऐसा था मानो सुबह की धुंध को छूता हुआ, उन्हें प्रकाशमान करता हुआ, जलती सूरज की नारंगी किरणें, जैसे रौशनी को जादूई बना रहा हो। वह शायद ही कभी इतनी जल्दी उठा था या घर से कभी इतनी दूर निकल आया हो — और यह जानते हुए कि उसे अपने पिता का प्रकोप झेलना होगा उसने कभी भी इतनी चढ़ाई नहीं की थी। लेकिन आज के दिन वो बेपरवाह था। आज के दिन उसने अपने ऊपर लाखों नियमों और कार्यों को अनदेखा किया जिन्होंने उसे चौदह वर्षों से दबा रखा था। लेकिन आज का दिन हट कर था। आज के दिन उसका भाग्य बदल गया था।
दक्षिणी प्रांत के पश्चिमी राज्य के मैकलियोड कबीले का लड़का थोर्ग्रिन जिसे सभी बस थोर के नाम से जानते थे — चार पुत्रों में से सबसे छोटा और अपने पिता का सबसे कम पसंदीदा इस दिन की प्रतीक्षा में ही पूरी रात जागा था। वह सूरज की पहली किरण के इंतज़ार में रात भर धुंधली आँखें लिए करवट बदलता रहा। आज का यह दिन कई वर्षों में बस एक बार आता है, और यदि कोई चूक हो जाए तो वह बस इस गाँव में हमेशा के लिए फंस जाएगा, और जीवन भर बस अपने पिता के मवेशियों की देखभाल करने के लिए मजबूर हो जाएगा। बस उस से यही ख़याल सहन नहीं हो रहा था।
सेना में अनिवार्य भर्ती होने का दिन। यह वो अकेला दिन था जब राजा की सेना राजा की फ़ौज में शामिल होने के लिए प्रांतों से स्वयंसेवकों को व्यक्तिगत रूप से चुनती थी। जबसे उसने होश संभाला था, थोर ने कभी भी कोई ओर सपना नहीं देखा था। उसका तो जीवन में बस एक ही लक्ष्य था: राजा के दोनों साम्राज्यों में कहीं भी, बेहतरीन कवच में सुसज्जित हो कर राजा के नाइटों के विशिष्ट बल सिल्वर में शामिल होना। और सिल्वर में शामिल होने से पहले हर किसी को चौदह से उन्नीस वर्ष तक की उम्र के मध्य अनुचरों की गिनती में शामिल होना आवश्यक था। और यदि कोई कुलीन वंश का या किसी प्रसिद्ध योद्धा का बेटा नहीं था, तो सेना में शामिल होने का कोई ओर उपाय नहीं था।
अनिवार्य भर्ती का दिन ही एकमात्र अपवाद था, एक ऐसी दुर्लभ घटना जब हर थोड़े से सालों में राजा के लोग नए रंगरूटों की तलाश में जगह-जगह घूमते थे। सब जानते थे की आम जनता में से बस बहुत थोड़े से ही चुने जाते थे — और उनमें से भी बहुत ही कम लोग वास्तव में राजा की सेना में शामिल हो पाते थे।
किसी भी तरह के इशारे के लिए थोर ने पूरे इलाके का सूक्ष्मता से अध्ययन किया। सिल्वर में शामिल करने के लिए, वह जानता था कि गाँव की ओर जाने वाला यही एक अकेला रास्ता है और वह चाहता था कि सबसे पहले उन्हें बस वो नज़र आए। ऐसा लग रहा था मानो उसके इर्द-गिर्द सभी भेड़ों ने जैसे बगावत कर दी हो और बहुत ही भद्दे तरीके से उसे चट्टान के नीचे की ओर, जहाँ चरने के अच्छे आसार थे, जाने के लिए उकसा रहे थे। उसने बढ़ते शोर और बदबू रोकने के लिए प्रयास किया। उसके लिए अब ध्यान केंद्रित करना जरूरी था।
भेड़ों को चराना, अपने पिता का और अपने भाईयों का सेवक बने रहना, किसी को भी उसकी कोई परवाह नहीं थी और फिर भी वह इतने सालों तक यह सब सहता रहा केवल इसीलिए कि एक दिन वो इस गाँव को छोड़ कर जा सके। और एक दिन जब सिल्वर आयेंगें और वो चुन लिया जाएगा, तो वे लोग जिन्होंने उसे कभी कुछ समझा ही नहीं, हैरत में पड़ जायेंगें। एक ही बार में वो उनकी घोड़ागाड़ी में चढ़ जाएगा और इन सब को अलविदा कह कर निकल जायेगा।
ज़ाहिर है, थोर के पिता ने उसे सेना में भर्ती होने के काबिल कभी समझा ही नहीं, और सच तो यह है कि वो उसे किसी भी काम के लिए काबिल मानता ही नहीं था। इसके बजाय, उसके पिता थोर के तीनों बड़े भाइयों पर अपना पूरा ध्यान और प्यार लुटाते थे। सबसे बड़ा भाई १९ का था और बाकी दोनों शायद १-१ साल छोटे थे और थोर उन लोगों से कम से कम तीन साल छोटा था। तीनों की उम्र एक जैसी थी इसीलिए थोर से बिलकुल अलग और एक जैसे ही दीखते भी थे और शायद यही वजह रही होगी कि वे तीनों थोर के अस्तित्व तक को नहीं स्वीकारते थे।
और वे लोग उस से लम्बे, चौड़े और मजबूत थे, और थोर जानता था कि वो उन लोगों से कम नहीं है फिर भी अपने आप को बहुत छोटा महसूस करता था। उसके पिता ने इन बातों को सुलझाने का कभी कोई प्रयास नहीं किया — वो तो बस इन सब बातों के खूब मज़े लेता था — जहाँ एक और थोर के तीनों भाई प्रशिक्षण लेते वहीँ दूसरी ओर थोर को बस भेड़ें चराने और हथियारों को तेज करने का काम दिया जाता। यह कोई कही जाने वाली बात नहीं थी कि थोर को अपनी पूरी ज़िन्दगी यूं ही अपने भाईयों को महान कार्य करते देख गुज़ारनी होगी, यह तो बस समझने वाली बात थी। यदि उसके पिता और भाईयों के वश में होता तो वे बस यही चाहते थे कि वो वहीँ रह कर बस परिवार की सेवा करते रहे, उसके भाग्य में होता तो ये गाँव उसको निगल जाता।
अविश्वसनीय मगर इससे भी बद्तर स्थिति यह थी कि थोर को अब लगने लगा था कि उसके भाईयों को अब वह संकट लगने लगा है और शायद उससे नफरत भी करते थे। थोर यह सब अब उनकी हर एक दृष्टि में, यहाँ तक कि हर इशारे में देख पा रहा था। यह कैसे संभव है उसे समझ में नहीं आ रहा था, लेकिन वो उनके मन में एक तरह का भय या ईर्ष्या जैसा कुछ पैदा कर रहा था। यह सब इसीलिए था क्योंकि वह शायद उनसे हट कर था, वह उन से अलग दिखता था या फिर उसके बात करने का अंदाज़ उन लोगों जैसा नहीं था; वो तो उनके जैसे कपडे भी नहीं पहनता था, उसके पिता सबसे बढ़िया बैंगनी और लाल रंग के वस्त्र, भव्य अस्त्र उसके भाईयों के लिए बचा कर रखते थे, जबकि थोर तो बस भद्दे किस्म के चीथड़े पहनता था।
बहरहाल, थोर उपलब्ध सभी वस्तुओं में से कुछ अच्छा निकाल ही लेता था, अपने कपड़ों को सही करने का तरीका खोजते हुए उसने अपने फ्रॉक को एक सैश के सहारे कमर पर बाँध दिया, और अब जबकि गर्मियाँ आ गई थी, उसने अपने फ्रॉक के आस्तीन को काट दिया ताकि उसके मजबूत बाजुओं को हवा छू सके। उसकी इकलौती जोड़ी की कमीज मोटे लिनेन से बनी पैंट से मेल करती थी और सबसे घटिया किस्म के चमड़े से बने उसके जूते के फीते पिंडली से बंधे होते थे। वे उसके भाइयों से जरा भी मुकाबला नहीं करते पर वह उनसे काम चला लेता था। उसकी वर्दी ठेठ चरवाहे जैसी थी।
लेकिन शायद ही उसका कोई विशिष्ट आचरण रहा हो। थोर पतला और लम्बा था, प्रभावशाली जबड़ों, मंझे हुए गाल और स्लेटी आँखों को लिए वह एक विस्थापित योद्धा की तरह लग रहा था। उसके सीधे और भूरे रंग के बाल जो बस उसके कान के नीचे तक है लहरों की तरह उसके पीठ को छू रहीं थी और उसके बालों की लटों के पीछे से उसकी आँखें ऐसी चमक रहीं थी मानो जैसे प्रकाश में छोटी सी मछली चमकती है।
थोर के भाइयों को आज बहुत अच्छा भोजन दिया जायेगा, वे सुबह देर तक सो सकेगें और बेहतरीन हथियारों और अपने पिता के आशीर्वाद के साथ उन्हें चयन के लिए भेज दिया जाएगा, जबकि थोर को जाने की इजाजत तक नहीं थी। उसने एक बार अपने पिता के साथ इस मुद्दे को उठाने का प्रयास किया था। लेकिन बातचीत बिलकुल भी ठीक नहीं रही। उसके पिता ने तो बस संक्षिप्त में ही बातचीत बंद कर दी, और उसने भी फिर कभी दुबारा कोशिश नहीं की। यह बिलकुल भी उचित नहीं था।
थोर ने अपने पिता द्वारा उसके लिए निर्धारित भाग्य को ना मानने का मन बना लिया था। शाही कारवां का पहला संकेत मिलते ही वो बस भाग कर घर जाएगा, अपने पिता का सामना करेगा, चाहे वो इस बात को पसंद करें या नहीं वो अपने आप को राजा के आदमियों से मिलवायेगा। वह दूसरों के साथ चयन के लिए खड़ा हो जाएगा। उसके पिता उसे नहीं रोक पाएंगे। यह सब सोचकर मानो जैसे पेट में बल पड़ गए थे।
पहला सूरज और ऊपर उठ गया था, और जब दूसरा सूरज हल्के हरे रंग में ऊपर उठने लगा तो ऐसे लगा मानो बैंगनी आकाश में प्रकाश की एक और परत जुड़ गयी हो, थोर ने उन्हें अब देख लिया था।
वह सीधा खड़ा था, उसके बाल भी। वहाँ क्षितिज पर, एक घोड़ा-गाड़ी की हल्की रूपरेखा दिखाई देने लगी थी, उसके पहिए आकाश में धूल उड़ा रहे थे। जब एक और नज़र आई तो उसकी दिल की धड्कनें तेज हो गयी; और फिर एक और। यहां से देखने पर भी सुनहरी गाड़ी सूरज की रौशनी में ऐसे चमक रहा थी मानो चांदी के रंग वाली मछली पानी में उछल रही हो।
वह उनमें से बस बारह को ही गिन पाया था और उससे अब और इंतज़ार नहीं हो पा रहा था। उसका दिल इतनी ज़ोरों से धड़क रहा था कि जीवन में पहली बार वो अपने झुंड को भूल गया, वो मुड़ा और पहाड़ी से नीचे की और लुड़कने लगा, उसने मन बना लिया था, अब वो नहीं रुकेगा और अपनी पहचान बता कर ही रहेगा।
*
वो पेड़ों के बीच से हो कर, टहनियों से चोट खा कर तेज़ी से नीचे की और जा रहा था और अब बस निमिष भर सांस लेने के लिए रुक गया और उसे किसी भी बात की परवाह नहीं थी। थोड़े से खुले में आने पर उसे अपना गाँव दिखाई दिया; यहाँ सफ़ेद मिटटी से बने एक-मंजिला कच्चे मकान थे। और यहाँ दर्ज़नों परिवार रहते थे। चिमनी से धुआं उठ्ता दिखाई दे रहा था क्योंकि बहुत से लोग सुबह का नाश्ता बना रहे थे। यह बेहद ही शांत जगह थी, और राजा के दरबार से बस एक दिन की दूरी थी। रिंग के छोर पर बसा एक और गाँव, पश्चिमी राज्य की व्यवस्था का बस एक और हिस्सा।
थोर ने गाँव के आँगन में पहुँचने का आखिरी पड़ाव भी पार कर लिया था, रास्ते में जब मुर्गियां और कुत्ते उसके रास्ते से भाग खड़े हुए तो धुल उड़ रही थी, और एक बूढी औरत जो नीचे बैठकर चूल्हे पर पानी उबाल रही थी उस पर गुस्से से चिल्लाई।
“ऐ लड़के, धीरे चलो!” जब वो उसके चूल्हे में धूल उड़ाता जा रहा था तो वो चीख कर बोली।
लेकिन थोर कहाँ रुकने वाला था – उसके लिए बिलकुल भी नहीं, किसी के लिए भी नहीं। वो गली के एक ओर मुड गया फिर दूसरी ओर, घर पहुँचने तक वो इन्हीं गलियों, जिसे वो अच्छी तरह जानता था, में दौड़ता-भागता रहा।
उसका घर भी औरों जैसा ही साधारण सा, छोटा, सफ़ेद मिटटी की दीवारों और फूस की छत का बना था। ज्यादातर घरों की तरह, उसका इकलौता कमरा भी विभाजित था, एक तरफ उसके तीनों भाई सोते थे और दूसरी और उसके पिता; औरों के विपरीत, कमरे के पीछे की ओर मुर्गों को रखने का एक छोटा सा पिंजरा था, और थोर को बस यहीं सोने के लिए निर्वासित किया गया था। पहले तो वह भी अपने भाइयों के साथ ही सोता था; लेकिन बाद में समय के साथ वे बड़े और मतलबी होते गए और ज्यादा अलग रहने लगे, और उन लोगों ने जैसे उसके लिए जगह नहीं छोड़ी। थोर को इस बात से चोट लगी थी, लेकिन अब उन लोगों की उपस्थिति से दूर उसे अपनी खुद की जगह बहुत पसंद आ रहा थी। यह तो सिर्फ इस बात की पुष्टि है कि वह अपने परिवार में निर्वासित था और वो यह पहले से ही जानता था।
थोर बिना रुके सामने के दरवाज़े से सीधे अन्दर आ गया।
“पिताजी!” वह हांफते हुए चिल्लाया। “सिल्वर! वे लोग आ रहे हैं!”
उसके पिता और तीनों भाई पहले से ही अपने बेहतरीन कपड़े पहने, नाश्ते की मेज पर बैठे थे। उसके शब्दों को सुन वे झट से उठे, और उसके कन्धों को टक्कर मार, उछल कर घर के बाहर की ओर और फिर सड़क की ओर भागे।
थोर ने उनका पीछा किया, और फिर वे सभी क्षितिज की ओर देखते हुए खड़े थे।
“मुझे कोई नज़र नहीं आ रहा,” ड्रेक, जो सबसे बड़ा था, ने अपनी गहरी आवाज में जवाब दिया। उसके कंधे चौड़े, बाकी भाईयों जैसे बाल छोटे थे’, उसकी आँखें भूरी थी, और पतली, साधारण से होंठ थे, हमेशा की तरह वह थोर को घूरने लगा।
“मुझे भी कोई नहीं दिख रहा,” द्रोस जो की ड्रेक से एक साल छोटा है, हमेशा की तरह उसका पक्ष लेते हुए बोला।
“वे आ रहे हैं!” थोर ने जोर देकर ने कहा। “मैं कसम खाता हूँ!”
उनके पिता उसकी और मुड़े और उसे कंधों से पकड़ लिया।
“और तुम्हें यह कैसे पता चला?” उन्होंने पूछा।
“मैंने उन्हें देखा था।”
“कैसे? कहाँ से?”
थोर झिझका; उसके पिता ने उसे पकड़ लिया। वो जानता था कि थोर उन्हें केवल उस पहाड़ी के ऊपर से ही देख सकता था। अब थोर को समझ नहीं आ रहा था कि क्या जवाब दे।
“मैं... उस पहाड़ी पर चढ़ गया था”
“झुंड के साथ? तुम्हें पता है न वो वहां तक नहीं जा सकते।”
“लेकिन आज तो अलग था। मैं देखना चाहता था।”
उनके पिता ने उसे गुस्से से घूरा।
“जल्दी से अंदर जाओ और अपने भाइयों की तलवार ले आओ और उनके म्यानों को पॉलिश करो, ताकि राजा के आदमियों के आने से पहले वे सर्वश्रेष्ठ दिखें।”
उसको निर्देश देने के बाद उसके पिता बाहर सड़क पर खड़े उसके सब भाइयों की ओर मुड़ गए।
“आप को क्या लगता है वो हमें चुन लेंगें?” दुर्स ने पूछा, जो तीनों भाईयों में सबसे छोटा और थोर से तीन साल बड़ा था।
“नहीं चुनना उनकी बेवकूफी होगी,” उसके पिता ने कहा। “ इस वर्ष उनके पास आदमियों की कमी हैं। यह उनके लिए बहुत ज़रूरी है नहीं तो वे आने की जहमत ना उठाते। बस, तुम तीनों सीधे खड़े रहो, अपनी ठोड़ी को ऊपर और छाती को बाहर की ओर रखो। उनकी आँखों में सीधे मत देखना और ना ही कहीं दूर। मजबूत और विश्वास से भरे दिखो। किसी तरह की कमजोरी मत दिखाना। यदि तुम राजा की सेना में जाना चाहते हो, तो ऐसे दर्शाना जैसे तुम पहले से ही सेना में आ चुके हो।”
“हाँ, पिताजी,” उसके तीनों लड़कों ने, अपनी जगह लेते हुए एक ही बार में जवाब दिया।
वो मुड़े और थोर को घूरने लगे।
“तुम अभी तक यहाँ क्या कर रहे हो?” उन्होंने पूछा। “अंदर जाओ!”
थोर वहीँ खड़ा था, परेशान। वह अपने पिता की आज्ञा का अवज्ञा नहीं करना चाहता था, लेकिन उसका उनसे बात करना आवश्यक था। वह बहस की सोच रहा था और उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई थी। उसने फैसला लिया, पिता की आज्ञा का पालन करना ठीक रहेगा, पहले वो तलवार ले आएगा और फिर अपने पिता का सामना करेगा। एकदम से अवज्ञा करने से कुछ हासिल नहीं होगा।
थोर भाग कर घर में घुस गया, पिछवाड़े से हो कर सीधे हथियार वाले बाड़े में गया। वहां उसे अपने भाईयों की तीनों तलवारें मिल गई थी, इन तलवारों की मुठियाँ चांदी से सजी हैं, सभी कुछ बहुत खूबसूरत था, ये सब मूल्यवान उपहार थे जिसे पाने के लिए उसके पिता ने सालों मेहनत की थी। उसने वो तीनों तलवारें उठा ली, उनके वजन से वो हमेशा की तरह आश्चर्यचकित था और उन्हें लिए वो घर से बाहर आ गया।
वो भाग कर अपने भाईयों के पास पहुंचा, प्रत्येक को एक-एक तलवार सौंपी, फिर अपने पिता की ओर मुड़ा।
“ये क्या, पॉलिश नहीं की?” ड्रेक ने कहा।
उनके पिता ने नाराज़गी से उसकी और देखा, इसे पहले वो कुछ कहते, थोर बोल पड़ा।
“पिताजी, कृपया मेरी बात सुनें। मुझे आपसे बात करनी है!”
“मैंने तुम से पोलिश के लिए ने कहा था”
“मेरी बात सुन लीजिये, पिताजी!”
उसके पिता विवाद करते हुए उसे घूरने लगे। अंत में जब उन्होंने थोर के चेहरे की गंभीरता को देखा तो बोले “ठीक है?”
“मैं भी शामिल होना चाहता हूँ। दूसरों के साथ। सेना में।”
उनके भाइयों की हँसी तेज़ हो गई थी, जिसकी वजह से उसका चेहरा लाल हो गया।
लेकिन उसके पिता को हंसी नहीं आई; इसके विपरीत, उनकी त्योरियां चढ़ गई थी।
“क्या तुम सच में जाना चाहते हो?” उन्होंने पूछा।
थोर ने जोर से सिर हिलाया।
“मैं चौदह का हूँ। मैं योग्य हूँ।”
“छंटाई चौदह से है,” ड्रेक उपेक्षा से कंधे उचकाते हुए बोला। “अगर उन्होंने तुम्हें चुन लिया तो तुम सबसे कम उम्र के होंगे। तुम्हें क्या लगता है मैं जो तुम से पांच साल बड़ा हूँ, मुझे छोड़ कर वे तुम्हें लेंगें?”
“तुम ढीठ हो,” दुर्स ने कहा। “तुम हमेशा से ऐसे ही हो।”
थोर उनकी ओर मुड गया। “मैं तुम से नहीं पूछ रहा हूँ,” उसने कहा।
वो अब अपने पिता की ओर मुड़ा, उनकी त्योरियाँ अभी भी चढ़ी हुयी थी।
“पिताजी, दया कीजिए,” उसने कहा। “कृपा करके मुझे एक मौका दीजिए। मैं बस यही चाहता हूँ। मैं जानता हूँ कि मैं अभी छोटा हूँ, लेकिन समय के साथ मैं अपने आप को साबित कर दूंगा।”
उनके पिता ने अपने सिर को हिलाया।
“बच्चे, तुम एक सिपाही नहीं हो। तुम अपने भाइयों के जैसे नहीं हो। तुम एक चरवाहे हो। तुम्हें बस यहीं रहना है। मेरे साथ। तुम्हें अपने कर्तव्यों का पालन करना है और उन्हें अच्छी तरह से करना होगा। किसी को भी इतना बड़ा सपना नहीं देखना चाहिए। अपने जीवन को गले लगाओ, और इसे प्यार करना सीखो।”
अपनी आँखों के सामने अपने जीवन को बिखरता देख उसका दिल टूटने लगा।
नहीं, उसने सोचा। यह नहीं हो सकता।
“लेकिन पिताजी —”
“चुप रहो!” वो चीखे, इतनी तीखी चीख मानो हवा को भी चीर देगी। बस बहुत हो गया। ये लो, वे लोग आ गए। रास्ते से हटो, और जब तक वो यहाँ है अपने शिष्टाचार का पालन करो।
उनके पिता आगे बढ़े और थोर को एक हाथ से परे कर दिया जैसे वो कोई वस्तु हो। उनकी मजबूत हथेली से जैसे थोर की छाती धंस गई थी।
एक गड़गड़ाहट की आवाज़ हुयी, और शहरवाले अपने घरों से निकल कर सड़कों पर आ गए ओर पंक्ति में लग गए। बहुत बड़े धूल के एक गुबार ने जैसे कारवां को ढक लिया था, और कुछ क्षणों के बाद वे गड़गड़ाहट के साथ दर्जनों घोड़ागाड़ी ले कर पहुंच गए।
वे कस्बे में अचानक सेना की तरह आए और थोर के घर के समीप ही अपना पड़ाव डाला। उनके घोड़े हांफते हुए वहीँ उछल रहे थे। धुल थमने में बहुत समय लग गया और थोर उत्सुकता से उनके कवच और उनके हथियार को छुप कर देखने की कोशिश कर रहा था। इसे पहले उसने सिल्वर को कभी इतने करीब से नहीं देखा था, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था।
नेतृत्व करने वाले घोड़े पर बैठा सैनिक नीचे उतरा। और यह सचमुच में सिल्वर का सदस्य था, उसकी अंगूठी चमकदार थी और उसके बेल्ट पर एक लंबी तलवार थी। वह सच का मर्द था, तीस के आस-पास का दिखता था, चेहरे पर दाढ़ी थी, गाल पर गहरे निशान थे और उसकी नाक टेढ़ी थी मानो युद्ध में नाक टेढ़ी हो गई थी। थोर ने इसे पहले कभी इतना मजबूत आदमी नहीं देखा था, वो औरों के मुकाबले में दो गुना बड़ा था और ऐसे लक्षण थे मानो वह सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
सैनिक, मिट्टी की सड़क पर नीचे कूद गया, उसकी खनक लाइन में खड़े लडकों को प्रोत्साहित कर रही थी।
गाँव में ऊपर और नीचे से दर्ज़नों लड़के उम्मीद लिए ध्यान से खड़े थे। सिल्वर में शामिल होने का मतलब था - सम्मान भरा जीवन, युद्ध, यश की, महिमा का और साथ ही जमीन, एक शीर्षक और खूब धन पाने का। इसका मतलब था सबसे अच्छी दुल्हन, मन पसंद जमीन और एक यश भरा जीवन। इसका मतलब था आपके परिवार के लिए सम्मान और सेना में प्रवेश करना इसकी ओर पहला कदम था।
थोर ने सुनहरी गाड़ी का अध्ययन किया, और समझ गया कि वे केवल बस इतने से ही रंगरूटों को ले सकते हैं। यह एक बड़ा राज्य था, और उन्हें तो अभी और भी कस्बों में जाना था। वो घूँट भरने लगा क्योंकि अब उसे लगने लगा था उसकी सोच की तुलना में उसके चुने जाने की संभावना काफी कम थी। उसे अपने ही तीनों भाइयों के साथ उन सभी लड़कों को मात देनी होगी, उनमें कई तो बहुत पुष्ट थे। उसे सब ख़त्म होता सा लग रहा था।
सैनिक चुप्पी साधे उम्मीदवारों की पंक्तियों का सर्वेक्षण कर रहे थे, थोर को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। उन्होंने सड़क के उस पार से धीरे-धीरे चुनना शुरू किया। ज़ाहिर है थोर उन सभी लड़कों को जानता था। वो यह भी जानता था कि उनमें से कुछ तो नहीं चाहते थे वे चुने जाएँ जबकि उनके परिवार वाले उन्हें भेज देना चाहते थे। वे डरते थे कि कहीं वो बुरे सैनिक साबित ना हो जाएँ।
थोर अपमान से जलने लगा। उसे लग रहा था वो भी ओरों की तरह चुने जाने के लायक है। माना की उसके भाई उसे बड़े, लम्बे और मजबूत थे लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि उसे वहां खड़े होने का और चुने जाने का अधिकार नहीं था। अपने पिता के लिए उसके मन में घृणा ओर गहराने लगी और वह तकरीबन गुस्से से फट ही पड़ता कि सैनिक करीब आने लगे।
सैनिक उसके भाइयों के सामने आ कर रुक गए। उसने उन्हें ऊपर से नीचे देखा और प्रभावित दिखे। उसने फिर एक के म्यान को पकड़ा और जोर से खींच लिया, शायद वो निरीक्षण कर रहा था कि यह कितना मजबूत है।
वह मुस्कुराने लगा।
“तुमने अभी तक किसी भी युद्ध में अपने तलवार का इस्तेमाल नहीं किया है, क्यों हैं ना?” उसने ड्रेक से पूछा।
थोर ने अपने जीवन में पहली बार ड्रेक को इतना घबराया हुआ पाया।
“नहीं, मेरे स्वामी। लेकिन मैंने इसका प्रयोग अभ्यास के दौरान कई बार किया है, और मैं उम्मीद करता हूँ कि —”
“अभ्यास में!”
सैनिक जोर से हँसने लगा और दुसरे सैनिकों की और मुड़ा, वे लोग भी ड्रेक की हँसी उड़ाने में शामिल हो गए।
ड्रेक का चेहरा लाल हो गया। थोर ने पहली बार ड्रेक को इतना शर्मिंदा होते देखा था, आमतौर पर तो ड्रेक दूसरों की हँसी उड़ाता था।
“ठीक है तो मैं निश्चित रूप से दुश्मनों से कह दूंगा कि वो तुमसे डरें — तुमसे जो अपनी तलवार अभ्यास में चलाता है!”
सैनिकों की भीड़ फिर से हँसने लगे।
सैनिक फिर थोर के दुसरे भाइयों की ओर मुड़े।
“एक ही जगह से तीन लड़के,” उसने अपनी ठोड़ी पर उगी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए ने कहा। “यह अच्छी बात है। तुम सब की बनावट अच्छी हैं। प्रयोग नहीं किया है फिर भी। खरे उतरने के लिए तुम लोगों को और प्रशिक्षण की जरूरत होगी।”
वह रुक गया।
“मुझे लगता है इन सब के लिए जगह होगी।”
उसने वैगन के पीछे की ओर इशारा किया।
“अंदर आ जाओ, ओर जल्दी करो। इससे पहले मैं अपना मन बदल दूं।”
थोर के तीनों भाई मुस्कुराते हुए गाडी की ओर लपके। थोर ने अपने पिता को भी मुस्कुराते देखा।
उन्हें जाते देख वो बहुत हताश था।
सैनिक मुड़े और दुसरे घर की ओर बढ़ गए। थोर अब और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
“सर!” थोर जोर से चिल्लाया।
उसके पिता ने मुड कर उसे घूरा, लेकिन थोर को अब कोई परवाह नहीं थी।
सिपाही रुका, उसकी पीठ थोर की ओर थी, और वह धीरे से मुड़ा।
थोर ने दो कदम आगे बढ़ाया, उसका दिल धड़क रहा था, और उसने अपना सीना जितना हो सके चौड़ा कर लिया।
“साहब, आपने मुझे तो देखा ही नहीं।” उसने कहा।
सैनिक चौंक गया, उसने थोर को ऊपर से नीचे देखा जैसे कि वो कोई मजाक हो।
“अच्छा मैंने नहीं देखा?” उसने कहा और जोर से हँसने लगा।
उसके आदमी भी हँसने लगे। लेकिन थोर ने कोई परवाह नहीं की। यह पल उसका था। अभी या फिर कभी नहीं।
“मैं सेना में शामिल होना चाहता हूँ!” थोर ने कहा।
सैनिक थोर की ओर बढ़ा।
“तो तुम अभी शामिल होना चाहते हो?”
वह खुश लग रहा था।
“और क्या तुम चौदह साल के हो भी?”
“जी सर। दो हफ्ते पहले ही हुआ हूँ।”
“दो हफ्ते पहले!”
सिपाही जोरों से हँसने लगा, उसके पीछे बाकी पुरुष भी हँसने लगे।
“अच्छा, तो तुम्हें देखते ही हमारे दुश्मन तो कांप जायेंगें”
थोर अपने अपमान से जलने लगा। उसे कुछ तो करना था। वो इसे यूं ही ख़त्म नहीं होने दे सकता था। सिपाही वापिस जाने के लिए मुड़ा, लेकिन थोर नहीं माना।
थोर आगे बढ़ा और चिल्लाया: “सर! आप गलती कर रहे हैं!”
सैनिक रुका और एक बार फिर जाने के लिए मुड़ा ही था, वहां मौजूद भीड़ में एक कंपकपी दौड़ गई।
अब वह गुस्से में था।
“बेवकूफ लड़के” उसके पिता ने उसे कन्धों से पकड़ कर ने कहा, “जाओ वापिस अंदर जाओ!”
“मैं नहीं जाऊँगा!” थोर अपने पिता की पकड़ को छुड़ाते हुए चिल्लाया।
सैनिक थोर की ओर बढ़ा, और उसके पिता पीछे हट गए।
“क्या तुम जानते हो कि सिल्वर के अपमान का दंड क्या है?” सैनिक बोला।
थोर का दिल जोरों से धडकने लगा लेकिन वह अब पीछे नहीं हट सकता था।
“साहब उसे माफ कर दीजिए,” उसके पिता ने कहा। “वो एक छोटा बच्चा है और...”
“मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूँ,” सिपाही ने कहा। एक तीखी नज़र से उसने थोर के पिता को दूर जाने के लिए मजबूर कर दिया।
सैनिक थोर की ओर मुड़ा।
“मुझे जवाब दो!” उसने कहा।
थोर थूक निगलने लगा, उससे बोला भी नहीं जा रहा था। उसने नहीं सोचा था ये सब होगा।
“सिल्वर का अपमान करना खुद राजा का अपमान है,” थोर ने धीरे से कहा।
“बिलकुल,” सिपाही ने कहा। “इसका मतलब है कि मैं चाहूँ तो तुम्हें चालीस कोड़े लगा सकता हूँ।”
“मेरा मतलब अपमान करना नहीं था, सर,” थोर ने कहा। “मैं तो बस शामिल होना चाहता था। दया कीजिए। मैंने जीवन भर इसका सपना देखा है। कृपा कीजिए। मुझे शामिल कर लीजिए।”
सिपाही ने धीरे से उसे देखा, उसके तेवर नर्म हो गए थे। थोड़े समय बाद उसने अपना सिर हिला दिया।
“तुम, एक जवान लड़के हो। तुम्हारे दिल में जोश है। लेकिन तुम अभी तैयार नहीं हो। जब तुम तैयार हो जाओ तो लौट आना।”
यह कहने के साथ ही दुसरे लड़कों की और देखे बगैर ही चला गया। वह तेजी से अपने घोड़े पर सवार हो गया।
हताश थोर ने उन्हें जाते देखा; वे जिस तेजी से आए थे उसी तेजी से जा चुके थे।
थोर ने फिर देखा कि सबसे आखिरी गाडी में उसके भाई सवार थे, वे उसकी ओर देख रहे थे और मजाक उड़ा रहे थे। उसकी आँखों के सामने उन्हें एक अच्छे जीवन के लिए ले जाया जा रहा था।
अंदर से थोर को मरने की इच्छा हुयी।
उसके चारों ओर उत्साह फीका होने लगा, गाँव वाले अपने घरों की ओर लौट गए।
“क्या तुम समझ पा रहे हो कि तुम कितने मूर्ख हो, मूर्ख लड़के?” थोर के पिता ने उसे कंधों से पकड़ कर ने कहा। “क्या तुम्हें एहसास भी है कि तुम अपने भाईयों के मौके को भी बर्बाद कर सकते थे?”
थोर ने गुस्से से अपने पिता के हाथ को धकेल दिया, और उसके पिता ने मुड़ कर उसके चेहरे पर एक थप्पड़ जड़ दिया।
थोर को यह बहुत चुभ गया था और अपने पिता को घूरने लगा। पहली बार उसके मन में ख़याल आया कि पलट कर अपने पिता पर वार कर दें। लेकिन उसने अपने आप को संभाल लिया।
“जाओ जा कर भेड़ ले आओ। अभी! और जब तुम लौट कर आओ तो मुझ से भोजन की उम्मीद मत करना। तुम्हें आज रात का भोजन नहीं मिलेगा, और तुम सोचो कि तुमने क्या किया है।”
“शायद मैं बिल्कुल भी वापस नहीं आऊँगा!” बाहर, अपने घर से दूर पहाड़ की ओर भागते हुए वो चिल्ला कर बोला।
“थोर!” उसके पिता चिल्लाए। सड़क पर खड़े कुछ गाँव वाले रुक कर देखने लगे।
थोर तेजी से चलने लगा, वो इस जगह से बहुत दूर जाना चाहता था, और फिर वो दौड़ने लगा। उसको यह ध्यान भी नहीं रहा कि उसकी आँखों में आंसू भर आए थे, अब तक के उसके सभी सपने जैसे कुचल दिए गए थे।