Читать книгу चाँद का नृत्य (रक्त बंधन किताब एक)‎ - Amy Blankenship, Amy Blankenship - Страница 2

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एंजेलेस अभयारण्य खतरनाक कूगरों और आयातित जगुआरों का घर है, जो वन के विस्तार में विचरण किया करते हैं। कभी-कभी कुछ विशेष रातों में उनकी संख्या ज़रा बढ़ जाती है, क्योंकि एलए के इच्छाधारी जानवर, या बदलने वाले, जैसा लोक-कथाओं में बताया जाता है, जंगली ज़मीन पर अपने दूर के रिश्ते के भाइयों के साथ विचरण करते हैं। यह वे रातें होती हैं, जब असली जानवर अपनी गुफाओं में दुबक जाते हैं, क्योंकि शहर के शिकारी शिकार के लिए उनके क्षेत्र में लंबे समय के लिए घुसपैठ करते हैं या किसी किसी अवसर पर अपनी उन लड़ाइयों का निपटारा करते हैं, जिनका निपटारा इंसानी इलाकों में नहीं हो सकता।

जब ये इच्छाधारी लड़ते हैं और यदि उनमें से कोई घायल हो जाए, तो वे इन्सानों के लिए भी उतने ही खतरनाक हो जाते हैं, जितने कि उनके जानवर प्रतिरूप और इससे बुरा कुछ नहीं होता । उन इन्सानों से बचने के लिए, जिनके बीच ये रहते हैं, इच्छाधारी जब भी संभव होता है, अपने विवादों को उन इन्सानों की सीमा से बाहर तय करते हैं, और इसके लिए बेहतरीन जगह उनके जन्मजात शिकारी जंगलों की सुदूर गहराई में होती है।

आज जंगल भयानक रूप से खामोश था, क्योंकि शहर के केंद्र के सबसे बड़े क्लब के दो मालिक अपने अंदर के जानवर को खुला छोडने के लिए अपने बदन के कपड़ों की चिंदी-चिंदी करते हुए जंगली धरती में प्रवेश कर रहे थे। आज की रात वे एक पिशाच की क़ब्र की तलाश कर रहे थे, जो उन दोनों को तबाह कर सकता था।

जंगलों की गहराई में जहां कोई इंसान उन्हें सुन नहीं सकता था, मलाची, एक छोटे जगुआर कुल का मुखिया, अंधेरे में अपने दुश्मन की ओर भागा…. एक आदमी, जिस पर उसे अपने पक्के दोस्त से बढ़ कर भरोसा नहीं करना चाहिए था। उसका शिकार भी एक इच्छाधारी था, इसकी रगों में एक कूगर का खून दौड़ रहा था।

मलाची नथनियल की तलाश में मैदान में घुस गया, जहां वह उसके इंतज़ार में इंसानी रूप में खड़ा था। चंद कदम आगे चलने के बाद, अपने एक रूप से दूसरे में बदलते हुए, मलाची अपने इंसानी रूप में आ गया। चाहे वे किसी भी रूप में होते, लेकिन वे दोनों काफी घातक थे। इंसानी रूप में वे दोनों ही बलिष्ठ थे, और नर्म त्वचा के नीचे उनकी कसी हुई मांसपेशियाँ फौलादी थीं। इच्छाधारी जल्दी बूढ़े नहीं होते थे और दोनों ही आदमी मुश्किल से 30 के लगते थे, हालांकि वे दोनों ही अपने पचासवें वर्ष में थे।

अगर यह कोई हॉलीवुड की मूवी होती तो इसे मोटे तौर पर बदलने में कुछ मिनट लगते, लेकिन यह वास्तविकता थी, और इस मैदान में कोई लार टपकाते हुए राक्षस नहीं थे। एक इच्छाधारी के लिए नग्नता कोई बड़ी बात नहीं थी, और उन के सर के ऊपर छाए हुए तूफानी बादलों में पड़ी एक दरार से छन कर चाँदनी उन पर किसी स्पॉट लाइट की तरह पड़ रही थी।

"इस पर बात करने की ज़रूरत नहीं है," अपने दोस्त के सामने अपना पक्ष रखते हुए नथानियल ने कारण स्पष्ट करने का प्रयास किया। "मेरी बात सुनो! यह तीस साल पहले की बात है और अब चीज़ें बदल गई हैं.....मैं बदल गया हूँ।"

“तीस सालों के झूठ की कीमत!”‎ मलाची गरजा, उसकी आवाज़ मैदान में गूंज रही थी। उसकी नज़रें उस स्थान की खोज कर रही थीं, जहां उसने केन को दफनाया था और उसने अपनी आँखों में नमी की चुभन महसूस की। "तुम्हारे कारण, मैं ने केन को खाक में मिला दिया था.....तुम्हारे कारण मैं ने उसे तीस सालों तक छोड़ दिया था।"

"मैं तुम्हें उसे क़ब्र से निकालने नहीं दूंगा, मलाची! तुम जानते हो कि अगर तुमने ऐसा किया तो उसका क्या परिणाम निकलेगा," नथानियल ने घबराते हुए मलाची को उस व्यक्ति की क़ब्र की तलाश करते हुए देखा, जो कभी उसका सब से अच्छा दोस्त हुआ करता था। वह इसे कभी नहीं समझा। केन एक पिशाच था, और वह खतरनाक था।

केन भी उन दो चीज़ें में से एक था, जो जगुआरों तथा कूगरों की साझेदारी के बीच की अड़चन थीं.....केन और मलाची की हसीन, धोखेबाज़ और बेवफा बीवी कार्लोटा। नथानियल पहले उससे प्यार करता था। वह नहीं चाहता था कि यह ऐसा मोड़ ले। अंततः नथानियल ने इन मुश्किल का हल एक ईर्ष्यायुक्त जुनून में ढूंढा.....उसने एक तीर से दो शिकार किए।

"वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त था और उसने कभी मुझे धोखा नहीं दिया था! वह तुम थे, जिसने मेरी पीठ में छुरा भोंका था!" मलाची ने हाथ उठा कर अपनी पहनी हुई बालियों को छुआ, वही, केन की बालियाँ, उसने क्रोध के आँसू पीने के प्रयास में पलकें झपकाईं, क्या हुआ था? जब उसने केन को अपनी मुर्दा बीवी पर झुके हुए देखा था, वह उलझन में स्तब्ध रह गया था, तब तक नथानियल ने केन के क़ातिल होने की पुष्टि नहीं कर दी थी।

वह यहीं, इसी मैदान में मरी होगी, तो उसने सोचा कि केन को भी ठीक इसी धरती में दफन कर देना ही सही होगा....इसी मिट्टी में। यहाँ तक कि उसने केन की जादू की किताब को भी चुरा लिया था और इसे बदला लेने के लिए उसी के खिलाफ इस्तेमाल किया था।

हाँ, नथानियल एक चीज़ के बारे में सही था। अधिकतर पिशाच बुरे थे, लेकिन कुछ अपवाद भी थे, और केन उनमें से एक था। लेकिन जो उसने किया, उससे ज़्यादा बुरा कुछ भी नहीं था। यह जादू केवल केन की जीवनसाथी द्वारा उलटाया जा सकता था।

उस वक़्त मलाची को यह मज़ाक लगा था, क्योंकि केन चिरयुवा था और अभी तक अपनी जीवनसाथी से नहीं मिला था। अतीत में वह और केन अक्सर मज़ाक किया करते थे कि ऐसी औरत कभी पैदा ही नहीं होगी। उस के मस्तिष्क में केन की वह मुस्कुराहट कौंध गई, जब उसने कहा था, 'ईश्वर को ऐसी औरत बनाने के लिए काफी मज़ाकिया बनना पड़ेगा, जिसमें उसके कुछ गुण हों।'

"वह यहाँ नीचे काफी समय से दफ्न है।" नथानियल ने चेतावनी दी। "जिस तरह की रक्त-पिपासा और पागलपन उस पर सवार था…. अगर तुम केन को अभी मुक्त करोगे, तो वह हम दोनों को मार डालेगा।"

मलाची के दिमाग़ में झटका लगा और उसने नथानियल पर नज़र डाली। "वह केवल मुझे मार सकेगा, क्योंकि तुम तो पहले ही मर चुके होगे।"

"इस धमकी के साथ ही दोनों आदमी फिर से जानवरों के रूप में आ गए।"

*****

विशाल पशु उद्यान के सबसे नजदीकी शिविर-स्थल के किनारे पर टबाथा किंग या टैबी, जैसे की हर कोई उसे बुलाता था, अपने माता-पिता की विशाल पर्यटक वैन की सीढ़ियों पर बैठ कर घने बादलों से बाहर झांकते आसमान के सितारों को देख रही थी। उसने अपनी आँखों पर पड़े अपने बालों को फूँक मार कर उड़ाया। वह खुश थी कि आखिरकार बारिश रुक गई थी।

वह जीवन में पहली बार कैंपिंग कर रही थी और अंतिम चीज़ जो वह करना चाहती थी, वह थी आरवी के अंदर बंद होना। वह इस दौरे को ले कर बेहद उत्साहित थी और वह और भी अधिक खुश हो गई थी, जब वे छोटे से पालतू कुत्ते स्क्रैपी को ले जाने को तैयार हो गए थे। इसके लिए उसे बहुत विनती करनी पड़ी थी, लेकिन अपने छोटे से सबसे अच्छे दोस्त, जो एक यॉर्की पिल्ला था, की देख-भाल करने का वादा करने के बाद उसने अपने अनिच्छुक माता-पिता की रजामंदी हासिल कर ली थी।

वह फिलहाल बाहर अंधेरे पर भौंक रहा था और अपने पट्टे के चारों ओर बेचैनी से घूम रहा था और उस छाया का पीछा करना चाहता था जिसने उसका ध्यान आकर्षित किया था। जब स्क्रैपी ने अचानक खुद को आज़ाद करा लिया और भाग गया तो छोटी लड़की की सांस रुकी की रुकी रह गई। जब पिल्ला शिविर-स्थल को पशु-उद्यान से अलग करने वाली बाड़ के नीचे बने एक छोटे से छेद के अंदर घुस गया तो वह लोहे की सीढ़ियों पर खड़ी हो गई।

"स्क्रैपी, नहीं!" टैबी चिल्लाई और कुत्ते के पीछे भागी। उसके माता-पिता ने उस पर भरोसा किया था कि वह उसे खोएगी नहीं। बाड़ के पास रुक कर उसने सांस ली और अंधेरे में खड़े पेड़ों को देखा। "मैं डरपोक नहीं हूँ।" उसने इरादा करते हुए अपने निचले होंठ को काटा और छेद की जांच करने के लिए घुटनों के बल नीचे झुकी।

थोड़ा सा खुरचने के बाद वह भी उसी छेद से अंदर घुस गई और दौड़ते हुए दूर से आती हुई झगड़े की आवाज़ों का पीछा करने लगी। "तुम मुझे परेशानी में डालोगे,"‎ वह झुंझलाहट में फुसफुसाई, फिर उसने जीभ के तचकने की आवाज़ निकालनी शुरू की, क्योंकि कुत्ता अक्सर उस आवाज़ से पास आ जाता था।

"टैबी, तुम कहाँ हो?"

टबाथा ने सुना, उसकी माँ पीछे से उसे पुकार रही थी लेकिन उसकी रुचि अपने कुत्ते को शिविर स्थल पर वापस लाने में ज़्यादा थी। स्क्रैपी उसका कुत्ता था, और उसकी देख-भाल उसकी ज़िम्मेदारी थी। तो अपनी माँ को जवाब देने की बजाय वह खामोश रही और स्क्रैपी की ज़ोर-ज़ोर से भौंकने की आवाज़ों का पीछा करती रही।

थोड़ी ही देर पहले टबाथा एक मिनट के लिए रुकी थी और अपनी साँसों पर क़ाबू पाया था। वह एक पेड़ के साहारे झुक गई और अपने हाथ उसने अपने गंदे घुटनों पर रख लिए, वह सांस लेती रही और जंगल की आवाज़ों को सुनती रही। वह हमेशा से जंगल में जाना चाहती थी और ये आवाज़ें सुनना चाहती थी, जैसा टीवी की फिल्मों में इंडियन करते थे।

बरसाती बादल, जो थोड़ी देर पहले ज़रा फट गए थे वापस घिर आए थे, तथा चाँदनी की चमक अचानक ग़ायब हो गई थी। जब उसे एहसास हुआ कि शिविर-स्थल की रौशनियाँ अब उसकी नज़रों से ओझल हो चुकी हैं तो उस की आँखें फैल गईं।

उसने हिचकते हुए कदम बढ़ाया, और चारों ओर नज़र दौड़ाई, लेकिन उसे अंधेरे, मुश्किल से दिखने वाले पेड़ों के तने और गहरी छायाओं के अलावा और कुछ भी नज़र नहीं आया। जब उसे अपने पीछे थोड़ी दूरी पर गुर्राने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो वह रोने लगी। यह फैसला कर के कि वह उस दिशा में नहीं जाना चाहती, उसने बिना पीछे देखा भागना आरंभ कर दिया।

जैसा कि हमेशा लगता था, उसने फिर से स्क्रैपी को भौंकते हुए सुना और यह उम्मीद करते हुए कि गुर्राने वाला प्राणी उसका पीछा नहीं कर रहा है, उसी दिशा में भागी। उसने एक और गुर्राहट सुनी, लेकिन इस बार वह आवाज़ उसके सामने की ओर कहीं से आ रही थी। उसने अपनी एड़ी को ज़मीन पर गड़ाते हुए रुकने का प्रयास किया, लेकिन ज़मीन चिकनी पत्तियों और बारिश से भीगे हुए कूड़े से ढकी हुई थी। रुकने की बजाय वह और आगे की ओर फिसल गई, और फिर एक हल्की ढलान में गिर गई।

जब उसका शरीर एक गिरे हुए पेड़ से टकरा कर रुका तो उसकी सांस फूल गई थी। अपनी साँसों पर नियंत्रण पाने के बाद, जिस पहली चीज़ पर उसका ध्यान गया वह यह थी कि अब स्क्रैपी भौंक नहीं रहा था। उसने गुर्राहट दोबारा सुनी और जब उसने एक हल्की रिरियाहट सुनी तो वह वापस पहाड़ पर चढ़ने लगी। अपने घुटनों के बल वह पेड़ के तने के सिरे पर पहुँच गई और वहाँ से उसे एक छोटा सा मैदान दिखा, जो चाँदनी में चमक रहा था।

वहीं बीचों-बीच में स्क्रैपी था, रो रहा था जैसे उसे घर के पास सड़क पर किसी कुत्ते ने मारा हो। पिल्ला जमीन से लगा हुआ था और पीछे की ओर रेंग रहा था। उसने जब यह देखा तो उसकी नीली आँखें चौड़ी हो गईं। मैदान में दो जानवर धीरे-धीरे एक दूसरे की ओर बढ़ रहे थे और स्क्रैपी ठीक उनके बीच में था।

“डमी,” टैबी अपनी सांसों में फुसफुसाई।‎

उसने उन तसवीरों के कारण जानवरों को पहचान लिया, जो उसके पिता ने उसे दौरे पर आने से पहले दिखाई थीं। एक कूगर था, और दूसरे को उसने टीवी पर देखा था.....एक जैगुआर। उसे जानवरों के कार्यक्रम देखना पसंद था और जब जानवर टीवी पर एक दूसरे पर हमला करते थे, तो वह अपनी माँ की तरह डरती नहीं थी। लेकिन यहाँ बात अलग थी.....यह असली था और थोड़ा डरावना था।

वे बिल्लियाँ थीं और विशाल भी थीं, जो किसी को भी खा सकती थीं। शानदार जानवर एक दूसरे की आँखों में आँखें डाले एक दायरे में घूम रहे थे, अपने गले की गहराई से गुर्रा रहे थे और उनकी आँखें सोने के मेडलों की तरह चमक रही थीं। डरावनी आवाज़ें हवा के बहाव के साथ उस तक पहुँच रही थीं, जो टबाथा की तरफ ही बह रही थीं, जबकि वह घबराहट और विस्मय से उन्हें देखती रही।

"चलो स्क्रैपी," वह फुसफुसाई, वह उम्मीद कर रही थी विशाल बिल्लियाँ उसे सुन नहीं पाएँगी। "इससे पहले कि उनमें से कोई तुम पर पाँव रख दे, इधर आओ।" वह कहने जा रही थी 'खा न लें,' लेकिन वह कुत्ते को और डराना नहीं चाहती थी, वह पहले से ही काफी डरा हुआ था।

बिल्लियाँ अचानक चीख़ीं, और टबाथा ने अपनी हथेलियों से अपने कान बंद कर लिए, क्यों कि यह आवाज़ बहुत तेज़ और डरावनी थी। वे दोनों एक दूसरे पर झपटे, जिसकी वजह से स्क्रैपी ने अपनी दुम अपने पैरों के बीच दबा ली और डर के मारे किकियाने लगा।

डरे हुए पिल्ले को देख कर टबाथा पेड़ पर चढ़ गई और जितनी तेज़ दौड़ सकती थी, स्क्रैपी की ओर दौड़ी। वह बिल्लियों की तुलना में स्क्रैपी के ज़्यादा नजदीक थी, उसने गोता लगाया और उसके छोटे से शरीर को जल्दी से अपने नीचे छुपा लिया, तभी बिलकुल ठीक उसके ऊपर दोनों जानवर एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो गए।

"प्लीज़, मेरे कुत्ते को चोट मत पहुंचाना!" वह चिल्लाई।

जब एक नुकीले पंजे ने उस की बांह को चीर दिया और दूसरे ने उसकी पीठ पर खरोंच लगाई तो वह फिर से चिल्लाई। बिल्लियाँ हड्डियों को झनझना देने वाली आवाज़ के साथ, एक दूसरे पर गरजते और गुर्राते हुए, ठीक उसके पीछे धरती पर गिरीं। वह स्क्रैपी पर झुकी रही, जो अब भी काँप रहा था और धीमे-धीमे रिरिया रहा था, और उन जानवरों की ओर देखने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा था, जो उससे कुछ ही दूरी पर लड़ रहे थे।

टबाथा हिलने से भी डर रही थी और वह कुत्ते को जितना हो सकता था उतने ज़ोर से पकड़े थी। उसकी आँखें बंद होने लगीं और वह स्क्रैपी से फुसफुसाने लगी कि अगर बिल्लियों में से कोई उसे भी पकड़ ले तो वह भाग जाए और मदद लाए। उसने अपनी पीठ पर किसी गीली और गरम चीज़ की फुहार महसूस की लेकिन वह फिर भी नहीं हिली। अंततः लड़ाई समाप्त हो गई और उसे अपने कंधे के पीछे देखने का एक मौका मिला।

जब उसने अपने पीछे खून से सने हुए दो आदमियों को पड़े पाया तो वह काँपने और रोने लगी। टबाथा अपने कुत्ते को बाँहों में उठाए, धीरे से अपने घुटनों के बल उठी और वापस जाने लगी। कूगर और तेंदुआ कहाँ चले गए? क्या उन्होंने इन दोनों आदमियों पर हमला किया और फिर भाग गए? उन आदमियों ने कोई कपड़े क्यों नहीं पहने हुए थे?

अचानक नथानियल ने अपनी आँखें खोलीं और अपने नुकीले दांतों से उसे डराया।

टबाथा पीछे की ओर ठोकर खा कर गिरने को हुई, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया। जब वह आदमी कूगर की तरह गुर्राया तो कुत्ता फिर से किकियाया और टैबी की बाहों से निकलने के लिए छटपटाने लगा। वह डर के मारे चिल्लाते हुए जंगल में भाग गया।

मलाची ने झटका खाया, क्योंकि उसके सीने से खून बह रहा था। उसने अपना मुंह खोला और गुर्राहट में छोटी लड़की से एक शब्द बोला।

"भागो!" जैगुआर की कानों को फाड़ देने वाली एक चीख के साथ उसकी आवाज़ खामोश हो गई।

टबाथा ने आज्ञा का पालन करने में ज़रा भी देर नहीं लगाई। वह अपनी एड़ियों पर घूमी और बिना पीछे देखे मैदान से भागना आरंभ कर दिया। उसको ज़रा भी परवाह नहीं थी कि वह कहाँ जा रही है; उसे केवल इतना पता था कि उसे खून में डूबे हुए उन भयानक आदमियों से दूर जाना है।

*****

"धन्यवाद, यह स्थानीय समाचार हैं। आज एक स्थानीय परिवार के पास जश्न मनाने का एक कारण है। उनकी बेटी टबाथा तीन दिन पहले अपने कुत्ते की तलाश में क्रिस्टल झील के पास के शिविर स्थल से ग़ायब होने के बाद आखिरकार आज एंजेलस के अभयारण्य में निरुद्देश्य भटकती हुई पाई गई। स्पष्टतः कुत्ते ने अपने को पट्टे से छुड़ा लिया था और जंगल में भाग गया था। सात वर्षीय लड़की ने बहादुरी से कुत्ते का पीछा किया और वह उसे आज सुबह तक नहीं मिला था। दुर्भाग्य से उसके साथ उसका कुत्ता नहीं मिला। अधिकारियों के अनुसार वह सामुदायिक हस्पताल में है और सदमे से उबरने का प्रयास कर रही है, क्योंकि ऐसा लगता है कि वह किसी कूगर के हमले से बच कर आई है। नन्ही टबाथा ने वन संरक्षकों को जंगल में पड़े दो घायल आदमियों के बारे में बताया लेकिन पाँच हज़ार वर्ग मील के क्षेत्र में व्यापक खोज-बीन के बाद भी कुछ भी नहीं मिला। इस के बारे में अधिक जानकारी हम आपको आगे भी बताते रहेंगे।"

चाँद का नृत्य (रक्त बंधन किताब एक)‎

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