Читать книгу चौथाई चाँद - Massimo Longo E Maria Grazia Gullo - Страница 6
Оглавлениеदूसरा अध्याय
एक ठंडी फुसफुसाहट उस के दिल में उतर गई थी
एलियो अपने स्कूल के सामने चौड़े फुटपाथ पर खड़ा था। उसके आसपास के अन्य सभी बच्चे तेजी से बढ़ रहे थे, जल्दी से अपने माता-पिता की कार से उतर रहे थे या घर के रास्ते में एक-दूसरे का पीछा कर रहे थे। दूसरी ओर, वह इस आशा में कि वह उसकी माँ इतालवी शिक्षक के साथ आमने सामने की बातचीत के बाद अभी निकली नहीं होगी, उसकी कार की तलाश में हर तरफ निगाहें दौड़ा रहा था जैसे कि वह उसकी जीवन रेखा थी।
कुछ ही देर में जब स्कूल का मैदान पूरी तरह से खाली हो गया, तो एलियो ने इंतजार करना छोड़ दिया और घर की ओर चल दिया। उसे चलने से नफरत थी। और वह उस असहनीय सड़क पर चलने से भी नफरत करता था, बहुत नफरत करता था, जिसके किनारे किनारे नींबू के पेड़ थे और जो स्कूल को उसके घर से जोड़ती थी।
उसने कुछ और मिनट इंतजार किया और फिर उसने अपने दम पर घर जाने का फैसला किया। फिर, उसने अपने पैरों को आगे बढ़ने का आदेश दिया। किसी और के लिए यह एक आसान काम होगा, लेकिन एलियो के लिए, जिसका अपने पैरों पर बहुत कम नियंत्रण था, यह एक संघर्ष था।
वह डेल कोर्सो से बाएँ मुड़ गया; और कोने पर उसने खुद को सड़क के उस भाग के सामने पाया, जिससे वह घृणा करता था। मुख्य सड़क के किनारे नींबू के पेड़ों की कतारें थीं। किसी और के लिए यह केवल खिलते हुए सुंदर नींबू के पेड़ों का एक समूह था जिसकी खुशबू हवा में घुल गई थी, और पूरे पड़ोस को महका रही थी। जैसे-जैसे वह कठिनाई के साथ पेड़ों की कतार के किनारे चलता हुआ नीचे जा रहा था, उसे महसूस हो रहा है कि कोई उसका पीछा कर रहा है।
वह तेजी से घूमा और उसे लगा कि उसने एक पेड़ के पीछे एक काले जानवर को देखा है।
"यह नहीं हो सकता है" वह खुद से ही कहता रहा "क्या मैंने उस अजीब कुत्ते की नाक पर एक नाक पकड़ चश्मा देखा है?"
वह डरते हुए वापस चलने लगा, क्योंकि उसने पेड़ों के पीछे छाया देखी थी। और जैसे कि यह काफी नहीं था, शाखाओं के बीच से हो कर हवा बह रही थी। एक ठंडी फुसफुसाहट उस के दिल में उतर रही थी; यह उसके कानों को चुभ रही थी और फिर उसके मस्तिष्क में फंस गयी।
वह उन ध्वनियों का अर्थ नहीं समझ सका। उस गंदे एहसास में फंसकर, उसने अपने शरीर को कोशिश करके भागने पर मजबूर किया। उसे पसीना आ रहा था, और जितना अधिक वह भागता था, उतनी ही अधिक वे आवाजें और छायाएं उसके करीब पहुंचती प्रतीत होती थीं।
वह जितनी तेजी से दौड़ सकता था, उतनी तेजी से दौड़ने लगा। फिर, उसने एक क्रूर आवाज सुनी, जो उसे दौड़ना बंद करने का आदेश दे रही थी। वह तेजी से घूमा और एक बार फिर पास के एक पेड़ के पीछे छिपी एक काली आकृति को देखा। वह पहले ही मुख्य सड़क के साथ लगे चौराहे पर पहुंच गया था, जिससे उस दुःस्वप्न पर विराम लग गया था।
हालांकि, उसे अपनी गर्दन के पीछे ठंडी हवा सी महसूस हुई। वह फिर से पलटा, और इस बार बिना रुके भागा, लेकिन किसी चीज ने उसे जोर से मारा और उसे जमीन पर गिरा दिया।
एलियो चौंका और अपने सिर को अपनी बाहों में थामे एक गेंद पर से लुढ़क गया।
और बिलकुल उसी क्षण, उसने सुना, एक परिचित आवाज उसे पुकार रही थी:
"एलियो! एलियो! तुम यहाँ कर क्या रहे हो?"
यह उसकी बहन थी जो उसे डांट रही थी। वह नाराज़ थी क्योंकि उसने उसे ज़ोर से धक्का मारा था। फिर उसने महसूस किया कि एलियो किसी भयानक अवस्था में था।
वह शांत हो गई, और पूछने लगी:
"तुम्हे कैसा लग रहा है?"
उसकी आवाज सुनकर एलियो ने अपना सिर उठाया।
गाइया ने ध्यान दिया कि वह घबराया हुआ था, पसीने से तर था और उसका चेहरा सामान्य अधिक फीका था। एक पल के लिए, उसने यह पता लगाने की कोशिश की कि वह क्यों भाग रहा था। यह उसके लिए बहुत असामान्य था। उसे ऐसा लग रहा था कि वह किसी ना किसी से दूर भाग रहा था। इस बीच, उसने उठने में उसकी मदद की।
"तुम ऐसे क्यों भाग रहे थे?" उसने पूछा। "क्या किसी चीज़ ने तुम्हें डरा दिया था?"
गाइया को याद नहीं आ रहा था कि पिछली बार एलियो कब भागा था। एलियो ने जवाब नहीं दिया। वह केवल इतना चाहता था कि वह जल्द से जल्द सड़क से दूर भाग जाए। वह बिना कुछ कहे कोने से मुड़ गया।
गाइया उसके लिए चिंतित हो गई।
"एलियो!" उसने उसे फिर से बुलाया।
“नहीं, कुछ भी नहीं।” एलियो ने बेरुखी से जवाब दिया, “सच में कुछ भी नहीं।”
एलियो के व्यवहार ने गाइया को फिर से नाराज़ कर दिया था।
“अच्छा? कुछ नहीं, हाँ? तुम दौड़ते दौड़ते मेरे अंदर घुस गए थे। फिर भी तुम कह रहे हो कि कुछ नहीं!”
एलियो ने बहस खत्म करने के लिए उससे माफी मांग ली, जिससे वह और भी थका हुआ महसूस करने लगा।
“माफ करना।” उसने कहा।
उन सतही क्षमायाचनाओं ने गाइया को और अधिक नाराज़ कर दिया। हालाँकि, वह अपने भाई के लिए चिंता में डूबी, उसके पीछे-पीछे चलती रही।
रविवार सुबह तक, कार्लो और जूलिया ने आखिरकार एक निर्णय लिया। जब वे नाश्ता बना रहे थे, वे अपने विचार पर चर्चा करते हुए अपने बच्चों के जागने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
"वह कितनी अच्छी है कि उसने यह प्रस्ताव रखा। उम्मीद है, बच्चे अच्छा व्यवहार करेंगे।" अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ जूलिया ने कहा।
यह एक कठिन निर्णय था, लेकिन अब जब वे इसे ले चुके थे, कार्लो और वह इसके बारे में अजीब तरह से उत्साहित महसूस कर रहे थे।
"गाइया ख़ुश होगी।" कार्लो ने कहा। "दूसरी ओर, एलियो, हमेशा की तरह उदासीन रहेगा।"
"मुझे नहीं लगता...समर कैंप में गाइया ने बहुत सारे बच्चों से दोस्ती की थी। वह नाराज़ हो जाएगी। और जहां तक एलियो की बात है, वह वैसे भी उससे नफरत करेगा।" ज्यूलिया ने टिप्पणी की।
"मैं अब और इंतजार नहीं कर सकता। मैं उन्हें जगाने जा रहा हूं।" कार्लो ने दृढ़ स्वर में कहा, और उन्हें उनके नाम से पुकारते हुए उनके कमरों की ओर चल दिया।
उसने उन्हें मुंह भी नहीं धोने दिया।
"तुम्हारी माँ ने और मैंने मिल कर फैसला किया है कि तुम लोग गर्मियों में क्या करने जा रहे हो। स्कूल शुक्रवार को बंद होंगे और रविवार की सुबह तुम लोग अपना सामान पैक कर के ट्रेन के स्टेशन पर नज़र आओगे!"
"लेकिन समर कैंप अभी एक-दो हफ्तों तक शुरू नहीं होगा!" गाइया ने चिंतित होकर अपनी माँ की ओर देखते हुए पूछा, जो रसोई के दरवाजे पर खड़ी देख रही थी कि गलियारे में क्या चल रहा है।
“दरअसल इस बार तुम समर कैंप नहीं जाओगी,” ज्यूलिया ने जवाब दिया, तो गाइया का डर सच साबित हो गया। “हम ने सोचा कि हम तुम्हें पुराने जमाने की तरह गरमियाँ बिताने का एक मौका दें; जैसे कभी हम बिताया करते थे, जब हम तुम्हारी उम्र के थे।”
“इसका क्या मतलब हुआ?” गाइया ने पूछा, जबकि एलियो अपने चेहरे पर मनहूसियत सजाए खामोश बैठा रहा।
“तुम बाहर जा सकती हो, अपनी सांस फूलने तक खेतों में भाग सकती हो, तालाबों में तैर सकती हो और अपनी गर्मियों की रातों में स्थानीय मेलों की सैर कर सकती हो।” कार्लो ने अपनी बेटी को समझाया।
गाइया ने देखा, उसके माता-पिता एक दूसरे को देख कर हँस रहे थे, और फौरन ही उसे खयाल आया कि वे मज़ाक कर रहे होंगे।
“मज़ाक मत कीजिये, आज आप लोगों को हुआ क्या है?”
“यह मज़ाक नहीं है। इडा बुआ ने तुम लोगों को इन गर्मियों में अपने यहाँ आने का निमंत्रण दिया है।” आखिरकार कार्लो ने अपने बच्चों पर रहस्य खोल दिया, जो उस की ओर शक भरी नज़रों से देख रहे थे।
“यह एक बुरा सपना है। मैं दोबारा सोने जा रही हूँ!” गाइया ने कहा, जो देखने में ही नाराज़ लग रही थी।
“मुझे लगा था कि तुम खुश होगी।” उसके पिता ने कहा।
“खुश? मैं ने पहले ही अपने दोस्तों से बता दिया था! मैं ने पूरी सर्दियों इंतज़ार किया है!”
“गाइया, तुम बुआ के यहाँ भी दोस्त बना लोगी।” जूलिया ने उसे प्रोत्साहित किया।
“लेकिन मैं ऐसा क्यों करूँ? मैं ऐसा समर कैंप में करना चाहती हूँ। मैं बाहर घूम सकती हूँ और झील में गोता लगा सकती हूँ। मैं कहीं और नहीं जाना चाहती।”
“हाँ, तुम नहीं जाना चाहतीं, लेकिन एलियो को जाना है, उसे हवा-पानी बदलने की ज़रूरत है।”
“मैं जानती थी!” उसने तपाक से कहा, “यह एलियो के कारण है! तो वह खुद इडा बुआ के यहाँ क्यों नहीं जा सकता?”
“हम नहीं चाहते कि वह बिलकुल अकेला जाए।” जूलिया ने आग्रह किया।
“मैं उसकी आया नहीं हूँ।”
“लेकिन तुम उसकी बहन हो। तुम कुछ क्यों नहीं बोलते, एलियो?” कार्लो ने पूछा।
एलियो ने एक शब्द भी नहीं कहा। उसने केवल अपने कंधे उचकाए, जिसने गाइया का दिमाग खराब कर दिया।
“तो? कुछ नहीं? तुम्हारे लिए कोई चीज़ माने नहीं रखती। चलो भी, माँ और पापा को बताओ कि तुम गाँव में भी कुछ करने वाले नहीं हो।”
“एलियो ने उससे सहमत होते हुए हाँ में सिर हिलाया।”
“अब बस करो, गाइया! अब यह सब मत करो! हम पहले ही निर्णय ले चुके हैं। तुम्हारा भाई लिबेरो तुम्हें स्टेशन पर लेने आएगा।” कार्लो ने वार्तालाप पर विराम लगा दिया।
गाइया भाग गई, जो देखने में ही निराश और गुस्सा लग रही थी।
“वह इससे निपट लेगी।” जूलिया ने कहा, जो अपनी बेटी के जोशीले स्वभाव को जानती थी।
एलियो बिना किसी का ध्यान खींचे अपने कमरे में लौट गया।
कार्लो चकित था। हालांकि उसे विश्वास था कि उनका निर्णय आगे चल कर बेहतरीन साबित होगा।
शुक्रवार बहुत जल्दी आ गया। कार्लो अपने भांजे को स्टेशन से लेने गया। वह उसे दोबारा गले लगाने के विचार से ही अत्यधिक खुश था।
लिबेरो एक खुश मिजाज, अल्हड़ और स्वच्छंद लड़का था। वह लंबा और दुबला था, लेकिन इतना नहीं कि उसकी हड्डियाँ दिखने लगें। उसका चेहरा धूप से सांवला हो गया था, उसके हाथ बड़े थे और पारिवारिक खेत में काम करने के अभ्यस्त थे। उसकी हरी आँखें उसकी त्वचा से मैच नहीं करती थीं और उसके छोटे भूरे बाल 50वें दशक के आदमियों की तरह उल्टी मांग में कढ़े हुए थे। उसने अपने मामा को कस कर गले लगाया और फिर उनकी बातों का सिलसिला बंद ही नहीं हुआ।
कार्लो उसे ताज्जुब से देख रहा था। उसे वह समय अच्छी तरह याद था, जब लिबेरो बीमार, उदासीन और चिड़चिड़ा था। हालांकि लिबेरो कोई खास बुद्धिमान नहीं था, लेकिन जो सादा जीवन वह जी रहा था, उसने उसे खुशमिजाज बना दिया था। कार्लो चाहता था कि एलियो अपने भाई को सकारात्मकता के साथ गले लगाए। इस बीच लिबेरो अपनी नाक कार की खिड़की में घुसेड़े था और वह रास्ते में दिखने वाली हर चीज़ के बारे में सवाल पूछ रहा था।
घर पर सब लोग उसका इंतज़ार कर रहे थे।
ज्यूलिया आखिरी चीज़ें पैक करते समय घबराई हुई थी। समय करीब आ रहा था, और वह खुद से पूछ रही थी कि क्या सब कुछ ठीक हो जाएगा। आखिर वह उनकी माँ थी, और चिंता के अलावा और कुछ नहीं कर पा रही थी।
दूसरी ओर गाइया पहले ही इस विचार से समझौता कर चुकी थी। वह पूरे घर में अपनी माँ के पीछे पीछे फिर रही थी और उससे हजारों सवाल पूछ रही थी: वह क्या क्या देख सकती है? वह खेत के आस-पास क्या करेगी?
एलियो और वह तब खेत पर गए थे, जब वे बच्चे थे और उनके दादी-दादा जीवित थे। उनके दिमाग में उस स्थान की केवल कुछ धुंधली धुंधली सी यादें ही थीं: खेत, और उन पेड़ों की मीठी सी खुशबू, जिनके आस-पास वे लुका छिपी का खेल खेला करते थे।
जबसे उसके पति की मृत्यु हुई थी, इडा बुआ अपनी ज़िंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए संघर्ष कर रही थी। इसलिए उसने अपने बच्चों के साथ अपने माता-पिता के खाली पड़े पुराने खेत में बस जाने का निर्णय लिया था।
जैसे ही गाइया ने ताले में घूमती हुई चाबी की आवाज़ सुनी, वह अपने फुफेरे भाई की ओर दौड़ी, जिसने उसे उठा लिया और उसे लिए लिए चकरघिन्नी के जैसा घूम गया। गाइया मुसकुराई, उसने इतनी प्यारी गर्मजोशी की आशा नहीं की थी।
“हाय लिबेरो, तुम कैसे हो?” उसने गर्मजोशी से अपने फुफेरे भाई से पूछा, जिसे वह काफी लंबे समय बाद मिल रही थी।
“अच्छा हूँ, प्यारी बहन।” लिबेरो ने जवाब दिया।
उसी समय ज्यूलिया भी उनके बीच शामिल हो गई और लिबेरो ने उसे दोनों गालों पर एक एक हल्का सा चुंबन दे दिया।
“तुम्हारा सफर कैसा रहा?” जूलिया ने कुछ सोचते हुए पूछा।
“बहुत अच्छा, जब सफर करना हो तो “लोहे की गाय” बेहद तेज़ और आरामदेह साबित होती है; और शहर बहुत सी देखने लायक दिलचस्प चीजों से भरा पड़ा है। मैं यहाँ आ कर बहुत खुश हूँ।”
“प्लीज़, बैठो। तुम थक गए होगे। क्या तुम कुछ आइसक्रीम खाना चाहोगे?” ज्यूलिया ने पूछा।
“हाँ, धन्यवाद मामी।” लिबेरो ने खुशी से स्वीकार किया, “एलियो कहाँ है?”
“एलियो अपने कमरे में है। वह कुछ ही देर में आ जाएगा।” कार्लो ने जवाब दिया। उसका दिमाग खराब हो रहा था कि उसके बेटे ने आ कर अपने भाई से अभिवादन तक करने की ज़रूरत नहीं समझी, जो केवल उन्हें लेने के लिए इतनी दूर से आया था। जैसे ही वह एलियो के कमरे की ओर जाने लगा,
लिबेरो कहने लगा: “चिंता मत कीजिये, मामा कार्लो, मैं जाता हूँ। मैं उसे चौंकाना चाहता हूँ। मुझे बताइये ना, उसका कमरा कौन सा है?”
जैसे ही कार्लो ने एलियो के कमरे की तरफ इशारा किया, लिबेरो उसके दरवाजे की तरफ भागा। जब वह अपने भाई का अभिवादन कर रहा था, उसकी खुशी भरी आवाज़ बाहर गलियारे तक सुनाई दे रही थी।
अपने आम ठंडे बर्ताव के बावजूद, एलियो भी लिबेरो के चकरघिन्नी वाले प्यार को अनदेखा नहीं कर सका।
गाइया ने अपनी माँ की ओर देखा और फुसफुसाई:
“मुझे याद नहीं था कि वह इतना भोला भाला है।”
“ऐसे मत कहो।” जूलिया ने उसे फौरन डांटा, “वह एक अच्छा लड़का है। और वह बहुत दयालु भी है।”
“हाँ, लेकिन......क्या तुम्हें विश्वास है कि वह हमें सुरक्षित गाँव तक ले जा पाएगा?” गाइया ने अनिश्चितता से पूछा।
“हाँ बिलकुल ले जाएगा!” कार्लो ने उसे विश्वास दिलाया। “उसे कम मत समझना। वह और उसकी माँ मिल कर खेत को संचालित कर रहे हैं। वह मजबूत और चालाक है।”
रात के खाने का समय हो गया, और वह समय खुशी खुशी बीता। वास्तव में लिबेरो अपने साथ गाँव की सारी उत्सवधर्मिता और जीवंतता ले कर आया था, जिसे एलियो के अलावा हर किसी ने सराहा था।
“मैं वाकई तुम्हें वहाँ आस-पास घुमाने के लिए उतावला हो रहा हूँ।” लिबेरो ने अपने भाई-बहन को खेत का विवरण देते समय इस तरह अपनी बात समाप्त की।
“तुम कुछ दिन यहाँ ठहरो ना, फिर चले जाना?” ज्यूलिया ने कहा।
“मैं साल के इन दिनों माँ को अकेला नहीं छोड़ सकता। वहाँ कई चीजों की देखभाल करनी होती है।”
“तुम ठीक कहते हो, लिबेरो। तुम सच में बहुत अच्छे लड़के हो।” कार्लो ने नरमी से उसका कंधा थपथपाते हुए उसकी तारीफ की।
“आपको पता है, कार्लो मामा, मैं कुछ पूछना चाहता था। यहाँ शहर आने से पहले मैं सोचता था कि आप हॉर्न केवल आपात स्थिति में बजाते होंगे......”
“हाँ, यह सही है।” कार्लो ने जवाब दिया, “क्यों?”
“क्योंकि ऐसा लगता है कि हर कोई इसे ऐसे प्रयोग करता है, जैसे वह किसी पार्टी में संगीत बजा रहा हो! वे हार्न बजाना कभी बंद ही नहीं करते।”
हर किसी की हंसी छूट गई, सिवा एलियो के, जो चकित था कि लिबेरो ने कोई चुटकुला सुनाया था क्या, या फिर...........