Читать книгу वरध तकत - Aldivan Teixeira Torres, Daniele Giuffre' - Страница 13

डी-डे

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दूसरी चुनौती के बाद से तीन दिन बीत चुके थे। वह शुक्रवार का दिन था, साफ़, प्रकाशित और रोशनीपूर्ण। मैं क्षितिज पर विचार कर रहा था जब वह अजीब औरत मेरे समीप पहुँची।

-क्या तुम तैयार हो? कोई भी अनहोनी घटना के लिए तैयार रहो तथा अपने सिद्धान्तों के अनुसार काम करो। यह तुम्हारी दूसरी परीक्षा है।

- ठीक है, मै तीन दिनों से इस घडी का इंतज़ार कर रहा था, मुझे लगता है मैं तैयार हूँ।

जल्दी से मै उस रास्ते के पास पहुंच गया जो मुझे जंगल ले जाता है। मेरे पैर बिलकुल संगीतमय ताल से चले। असल में यह दूसरी चुनौती क्या थी? चिंता ने मुझे अपने बस में कर लिया और मेरे पैर उस अंजान वस्तु की तलाश में गतिमान हो गए। बिलकुल सामने एक रास्ता उभरा जो विभाजित और अलग होता था। जब मैं वहां पंहुचा, तो मेरे लिये यह आश्चर्यजनक था कि वह विभाजन चला गया था और मैं उसकी जगह सामने के दृश्य को देख रहा था: एक लड़का, एक जवान के द्वारा घसीटा जा रहा है और जोर जोर से रो रहा है। अन्याय के भाव की भावनाएं मुझ पर हावी हो गई और इसलिए मैंने कहा:

-बच्चे को जाने दो, वह तुमसे छोटा है और खुद को बचा भी नहीं सकता।

-मैं नहीं जाने दूंगा। मैं ऐसा इसलिए कर रहा हूँ इसके साथ क्योंकि यह काम नहीं करना चाहता।

-जानवर कहीं के। बच्चों को काम नहीं करना पड़ता। उन्हें पढाई करनी चाहिए और शिक्षित बनना चाहिये। उसे छोड़ दो!

-इसको कौन छुड़ाएगा, तुम?

मै हिंसा के सख्त खिलाफ हूँ लेकिन इस समय मेरे दिल ने कहा कि मुझे इस शैतान से लड़ना चाहिये। बच्चा छूटना ही चाहिये।

आराम से मैंने बच्चे को उस शैतान से अलग किया और उस आदमी को मारने लगा। उसने भी हरकत की और मुझे कुछ घूंसे मारे। उसमे से एक मुझे बहुत पास से लगा। दुनिया शिथिल हो गई और एक ताकतवर मर्मज्ञ हवा ने मुझे पूरी तरह झकझोर कर रख दिया: सफ़ेद और नीले आसमान ने स्वफिट पक्षियों के साथ मेरे दिमाग में घुसपैठ कर दी। एक पल में ऐसा लग रहा था कि मेरे पूरा शरीर हवा में तैर रहा है। बड़ी दूर से एक आवाज़ ने पुकारा। दूसरे पल में ऐसा था कि मैं दरवाजों से गुजर रहा हूँ, जैसे एक के बाद एक बाधाओं में से। दरवाजे अच्छे से बंद थे और उन्हें खोलने के लिये एक बहुत जोर की ताकत की जरूरत पड़ी। हर दरवाजा क्रमशः या तो किसी बरामदे में या फिर किसी पुण्यस्थान पर पहुँचने में मदद करता था। पहले बरामदे में मैंने पाया कि कुछ जवान लोग सफ़ेद कपडे पहने हुए, टेबल के चारों तरफ इकट्ठे हुए हैं जिसमे बीच में खुली हुई बाइबिल रखी है। ये वही थे जो कुंवारी द्वारा भविष्य की दुनिया में राज करने के लिए चुने गए थे। एक ताकत ने मुझे उस कमरे से बाहर धक्का दिया और मैंने दूसरा दरवाजा खोला और मैं पहले पुण्यस्थान पर पहुँच गया। वेदी के किनारे, अगरबत्तियां ब्राज़ील के कमजोर लोगों के निवेदन के साथ जल रहीं थी। दाईं तरफ, एक पंडित जोर से प्रार्थना कर रहा था और अचानक से दोहराना शुरू कर दिया: द्रष्टा! द्रष्टा! द्रष्टा! उसके बगल में दो औरतें सफदे कपड़ों में थी। जिस पर लिखा था: संभव सपना। हर चीज काली होने लगी, जब मैं होश में आया तो मुझे बहुत जोर से खींचा जा रहा था इतनी तीव्रता से कि मुझे थोड़ा चक्कर आ गया। अब मैंने तीसरा दरवाजा खोला और पाया कि कुछ लोग मिलकर बैठक कर रहे है: एक पादरी, एक पंडित, एक बौद्ध, एक मुस्लिम, एक अध्यात्मवादी, एक यहूदी और एक अफ्रीकन धर्मो का प्रतिनिधि। वो लोग एक गोल घेरा बनाकर खड़े हुए थे और बीच में आग जल रही थी और लपटें नाम को उल्लेखित कर रही थी, "लोगो का संघ और परमेश्वर तक रास्ता" आखिर में उन्होंने मेरे साथ आलिंगन किया और मुझे समूह में सम्मिलित किया। आग मध्य से हट गई और मेरे हाथों पर आ गई और शब्द लिखे "शिक्षुता"। आग पूर्ण रूप से रौशनी थी और जल नहीं रही थी। समूह टूट गया, आग चली गई और दोबारा मुझे कमरे से धक्का दे दिया गया जहाँ मैंने चौथा दरवाज़ा खोला। दूसरा पुण्यस्थान पूरी तरह खाली था और मैं वेदी की तरफ बढ़ा। मैं समृद्ध धार्मिक अनुष्ठान के लिये श्रद्धा में घुटनों के बल बैठ गया, एक कागज़ जो जमीन पर पड़ा था उसे उठाया और अपनी मुराद लिख दी। मैंने कागज़ मोड़ा और तस्वीर के चरणों पर रख दिया। वह आवाज जो बहुत दूर थी अचानक से साफ़ और सटीक हो गई। मैंने पुण्यस्थान छोड़ दिया, दरवाजा खोला और आखिकार उठ गया। मेरे बगल में पहाड़ों की संरक्षक थी।

- तो तुम उठ गए। मुबारक हो! तुमने चुनौती जीत ली है। दूसरी चुनौती का उद्देश्य खुद की क्षमता तथा कार्य की खोज करना था। दो रास्ते जो "विरोधी ताकतों" का प्रतिनिधित्व कर रहे थे वो अब एक हो गए हैं। इसका मतलब है कि तुम्हे दाएं तरफ के रास्ते पर चलना होगा उस ज्ञान को बिना भूले जो तुम्हे बाईं तरफ चलने पर मिलेगा। तुम्हारे रवैये ने उस बच्चे की जान बचायी इसके बावजूद की उसे इसकी कोई जरुरत नहीं थी। वह पूरा दृश्य मेरे द्वारा तुम्हारे दिमाग का मूल्यांकन करने के लिये रचित खेल था। तुमने सही कदम उठाया। बहुत से लोग जब अन्याय होते देखते हैं तो उसमें दखलंदाज़ी नहीं करते। ऐसी चूक एक जघन्य अपराध है और वह आदमी अपराध का साथी बन जाता है। तुमने अपने आप को झोंक दिया जैसे की जीसस क्राइस्ट ने किया था। यह वह सीख है जो तुम्हारे साथ जिंदगी भर रहेगी।

-मुझे मुबारकबाद देने के लिए धन्यवाद। मैं हमेशा उन लोगो के साथ खड़ा होऊंगा जो अपवर्जित है। मैंने जो अध्यात्मीक अनुभव किया वह मेरे लिए पहेली है। उसका क्या मतलब है? क्या आप मुझे समझा सकती हैं?

-हम सब के पास वह क्षमता है कि हम विचारों के द्वारा दूसरी दुनिया को समझ सकते हैं यह है, जिसे सूक्ष्म यात्रा कहा जाता है। यहाँ इस मुद्दे से सम्बंधित कुछ विशेषज्ञ है। जो तुमने देखा वो तुम्हारे या किसी दूसरे के भविष्य से सम्बंधित है, आपको नहीं पता।

-मैं समझता हूँ। मैं पहाड़ चढ़ गया, पहले दो चुनैतियां भी पूरी कर ली और मै अध्यात्मीक रूप से विकसित हो रहा होऊंगा। मुझे लगता है जल्द ही मैं निराशा की गुफा का सामना करने के लिए तैयार हो जाऊँगा। वह गुफा जहाँ चमतकार होते हैं तथा सपने और प्रगाढ़ हो जाते हैं।

-तुम्हे तीसरी चुनौती करनी होगी और वह क्या है मैं कल बताऊंगी। निर्देशों का इंतज़ार करो।

-जी। मैं बड़ी ही व्याकुलता से उसका इंतज़ार करूँगा। जैसा की आप मुझे कहती हैं, परमेश्वर का पुत्र, वह अब बहुत भूखा है और अपने लिए सूप बनायेगा, आप आमंत्रित है।

-बहुत अच्छे। मुझे सूप बहुत पसंद है। इसे मैं तुम्हे अच्छे से जानने के मौके के रूप में उपयोग करुँगी।

वह अजीब औरत चली गई और मुझे अपने ख्यालों के साथ अकेला छोड़ गई। मैं जंगल में सूप के लिए सामग्रियां ढूंढने चला गया।

वरध तकत

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