Читать книгу वरध तकत - Aldivan Teixeira Torres, Daniele Giuffre' - Страница 16
आखिरी चुनौती के एक दिन पहले
Оглавлениеअब पहाड़ के ऊपर आए मुझे छः दिन हो गए थे। चुनौती से भरे समय और अनुभव ने मुझे समझदार बनने में मदद की है। मैं अब आसानी से प्रकृति को, खुद को और दूसरों को समझ सकता हूँ। प्रकृति अपनी ही धुन में चलती है और इंसानों के आहट के खिलाफ है। हम वनों को काटते हैं, पानी को दूषित करते हैं और वायुमंडल में जहरीली गैस छोड़ते हैं। हमें उससे क्या मिलता है? हमारे लिए क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है पैसा या खुद का ज़िंदा रखना? इसके परिणाम है: वैश्विक उष्णता, वनस्पतियों और जीवो में कमी, प्राकृतिक आपदा। क्या इंसान यह नहीं देखता की यह सब उसकी गलतियां हैं? अब भी समय है, प्रकृति को प्रदूषित ना करें। अपना भाग अदा करें: पानी और ऊर्जा बचाएं, खराब चीजों को पुनः उपयोग लायक बनायें, प्रकृति को दूषित ना करें। प्रकृति के मसलों को लेकर अपनी सरकार से जवाब मांगे। हम खुद के लिए तथा दुनिया के लिये बस इतना ही कर सकते हैं। रोमांचित मैं वापस आते हुए, मैं एक बार पहाड़ पर चढ़ गया, मुझे अपनी मुराद और सीमा अच्छे से समझनी चाहिये। मुझे समझ में आ गया कि सपने तभी पूरे होते है जब वो सही और नेक हों। गुफा निष्पक्ष है और अगर मैं तीसरी चुनौती भी जीत गया तो मेरे सपने सच हो जाएंगे। जब मैंने पहली और दूसरी चुनौती जीती तो मुझे दूसरों की मुरादें अच्छे से समझ आने लगीं थीं। अधिकतर लोग यह सपना देखते हैं कि वह अमीर हो जाएँ, सामजिक प्रतिष्ठा बढ़े, ऊँचे पद पर नियंत्रण रखें। वे यह नहीं देखते कि जिंदगी में अच्छी चीज क्या है: पेशेवर तरक्की, प्यार और ख़ुशी। वो चीजें जो इंसान को सचमुच में ख़ास बनाती है वो हैं उनके गुण जो उनके काम से झलकते हैं। ताकत, पैसा और समाज में शेखी किसी को खुशी नहीं देती है। मैं पवित्र पहाड़ में यहाँ ढूंढ रहा हूँ: ख़ुशी और "विरोधी ताकतों" पर अधिकार। मुझे कुछ समय के लिये बाहर जाना जरूरी है। एक एक कदम के साथ मैं झोंपडी के बाहर निकला जिसे मैंने बनाया था। मैं किस्मत के इशारे की उम्मीद करने लगा।
सूरज का तामपान और बढ़ रहा है, हवाएं और तेज हो गई हैं और कोई भी इशारा नहीं दिख रहा। मैं तीसरी चुनौती कैसे जीतूंगा? अगर मैं अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाया तो इस असफलता के साथ कैसे जी पाऊंगा? मैं अपने दिमाग से गलत विचारों को हटाने की कोशिश करता हूँ लेकिन डर बहुत ज्यादा है। मैं पहाड़ पर चढ़ने से पहले कौन था? एक नौजवान, असुरक्षित, दुनिया और इसके लोगों का सामना करने से घबराने वाला। एक नौजवान आदमी जो अपने अधिकारों के लिए एक दिन न्यायलय में लड़ता है लेकिन जीत नहीं पाता। भविष्य ने मुझे दिखाया कि यह बेहतर था। कई बार हम हार कर के जीतते है। जिंदगी ने मुझे यह सिखाया है। कुछ पक्षी मेरे आस पास चहचहाने लगे। वो मेरे सवाल समझ गए थे। कल एक नया दिन होगा, पहाड़ की चोटी में सातवां दिन। मेरा भविष्य इस तीसरे चुनौती के साथ खतरे में था। पाठको, प्रार्थना करें की मैं जीत जाऊं।